बौछार
मै कुछ कुछ भूलता जाता हू अब तुझको
तेरा चेहरा भी धुंदलाने लगा हॆ अब तखय्युल मे
बदलने लगा है अब वो सुबह शामका मामूल जिसमे
तुझसे मिलनेका एक मामूल भी शामील था
तेरे खत आते रहते थे तो मुझको याद रहते थे
तेरी आवाजके सुर भी
तेरी आवाज को कागज पे रखके मैने चाहा था के पिन करलू
वो जैसे तितलीयोंके पर लगा लेता है कोई अपने अल्बम में
तेरा ’बे’ को दबाकर बात करना
’वॉव’ पर होठोंका छल्ला गोल होकर घूम जाता था
बहोत दिन हो गये देखा नही
न खत मिला कोई
बहोत दिन हो गये सच्ची
तेरी आवाज की बौछार में भीगा नहीं हूं मै
मै कुछ कुछ भूलता जाता हू अब तुझको
तेरा चेहरा भी धुंदलाने लगा हॆ अब तखय्युल मे
बदलने लगा है अब वो सुबह शामका मामूल जिसमे
तुझसे मिलनेका एक मामूल भी शामील था
तेरे उतारे हुवे दिन
तेरे उतारे हुवे दिन टंगे है लॉन मे अबतक
न वो पुराने हुए है न उनका रंग उतरा
कहीसे कोईभी सीवन अभीतक नही उधडी
इलाईची के बहुत पास रखे पत्थर पर
जरासी जल्दी सरक आया करती है छॉव
जरासा और घना हो गया है वो पौधा
मै थोडा थोडा वो गमला हटाता रेहता हूं
फ़कीरा अब भी वही मेरी कोफ़ी देता है
गिलेरीयोंको बुलाकर खिलाता हूं बिस्कुट
गिलेरिया मुझे शक की नजर से देखती है
वो तेरे हातोंका मस जानती होंगी
कभी कभी जब उतरती है चील शामकी छतसे थकीथकीसी
जरा देर लॉन में रूककर सफ़ेद और गुलाबी मसूंबेके पौधोमे घुलने लगती है
के जैसे बर्फ़ का टुकडा पिघलता जाये व्हिस्की मे
मे स्कार्फ़ दिनका गलेसे उतार देता हूं
तेरे उतारे हुवे दिन पेहेनके अबभी मै तेरी मेहेक में कई रोज काट देता हूं
तेरे उतारे हुवे दिन टंगे है लॉन मे अबतक
न वो पुराने हुए है न उनका रंग उतरा
कहीसे कोईभी सीवन अभी नही उधडी
मै कुछ कुछ भूलता जाता हू अब तुझको
तेरा चेहरा भी धुंदलाने लगा हॆ अब तखय्युल मे
बदलने लगा है अब वो सुबह शामका मामूल जिसमे
तुझसे मिलनेका एक मामूल भी शामील था
तेरे खत आते रहते थे तो मुझको याद रहते थे
तेरी आवाजके सुर भी
तेरी आवाज को कागज पे रखके मैने चाहा था के पिन करलू
वो जैसे तितलीयोंके पर लगा लेता है कोई अपने अल्बम में
तेरा ’बे’ को दबाकर बात करना
’वॉव’ पर होठोंका छल्ला गोल होकर घूम जाता था
बहोत दिन हो गये देखा नही
न खत मिला कोई
बहोत दिन हो गये सच्ची
तेरी आवाज की बौछार में भीगा नहीं हूं मै
मै कुछ कुछ भूलता जाता हू अब तुझको
तेरा चेहरा भी धुंदलाने लगा हॆ अब तखय्युल मे
बदलने लगा है अब वो सुबह शामका मामूल जिसमे
तुझसे मिलनेका एक मामूल भी शामील था
तेरे उतारे हुवे दिन
तेरे उतारे हुवे दिन टंगे है लॉन मे अबतक
न वो पुराने हुए है न उनका रंग उतरा
कहीसे कोईभी सीवन अभीतक नही उधडी
इलाईची के बहुत पास रखे पत्थर पर
जरासी जल्दी सरक आया करती है छॉव
जरासा और घना हो गया है वो पौधा
मै थोडा थोडा वो गमला हटाता रेहता हूं
फ़कीरा अब भी वही मेरी कोफ़ी देता है
गिलेरीयोंको बुलाकर खिलाता हूं बिस्कुट
गिलेरिया मुझे शक की नजर से देखती है
वो तेरे हातोंका मस जानती होंगी
कभी कभी जब उतरती है चील शामकी छतसे थकीथकीसी
जरा देर लॉन में रूककर सफ़ेद और गुलाबी मसूंबेके पौधोमे घुलने लगती है
के जैसे बर्फ़ का टुकडा पिघलता जाये व्हिस्की मे
मे स्कार्फ़ दिनका गलेसे उतार देता हूं
तेरे उतारे हुवे दिन पेहेनके अबभी मै तेरी मेहेक में कई रोज काट देता हूं
तेरे उतारे हुवे दिन टंगे है लॉन मे अबतक
न वो पुराने हुए है न उनका रंग उतरा
कहीसे कोईभी सीवन अभी नही उधडी
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